रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 9 - संकर्षण (बलराम) व श्री कृष्ण का जन्म

बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। Ramanand Sagar’s Shree Krishna Episode 9 - Birth of Sankarshana (Balarama) and Shri Krishna कंस देवकी के सातवें गर्भ की सूचना से ही भयभीत रहने लगता है। वह चाणूर को कारागार में जाकर जाँच करने को कहता है लेकिन उसे कारागार में कुछ भी असामान्य नहीं लगता है। वह कंस से कहता है कि जो डर पहले देवकी के चेहरे में रहता था, वह डर अब कंस के चेहरे में दिखने लगा है। वह पुनः कंस को इस डर की स्थिति से निकलने के लिये देवकी का वध करने के लिये कहता है लेकिन कंस को कारागार के साँप से डर लगता है। इधर रोहिणी पुत्र संकर्षण (बलराम) को जन्म देती है। देवी-देवताओं द्वारा फूलों की वर्षा की जाती है। कंस जो कि विष्णु के डर से सो भी नहीं पाता है, हर जगह विष्णु के होने का आभास उसे परेशान करने लगता था तो कभी उसे लगता है कि चाणूर की सलाहनुसार वह देवकी का मार दे, तो कभी उसे लगता है कि देवकी का मारने उसकी वीरता पर प्रश्न लग जायेगा। उसकी मनोस्थिति बिगड़ जाती है। नारद जी भगवान कृष्ण से प्रश्न करते है कि जिस तरह कंस हम समय उनका ध्यान करता है उसे फलस्वरूप से उसे भगवान आपकी प्राप्ति हो जायेगी तो इस प्रकार से एक भक्त और एक महापापी में क्या अन्तर रह गया है। विष्णु जी नारद को बताते है कि जो जिस भाव से उनका ध्यान करेगा उसे उसी रूप में प्राप्त होते है। भक्तों को उनसे सुख, आनंद व प्रेम रस प्राप्त होता है और कंस उन्हें शत्रु के रूप में ध&
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